Tuesday, January 11, 2011

दुनिया की ख्वाइस

 

जाने के बाद क्यों भुलाती है ये दुनिया,
हँसाने के बाद क्यों रुलाती है ये दुनीया। क्या जिन्दगी में कुछ कसर बाकी रहती है ,
जो मरने के बाद जलाती है ये दुनिया ।
 

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