Saturday, July 23, 2011

जाने के बाद क्यों भुलाती है ये दुनिया,
हँसाने के बाद क्यों रुलाती है ये दुनीया।
क्या जिन्दगी में कुछ कसर बाकी रहती है ,
जो मरने के बाद जलाती है ये दुनिया